Tuesday, August 25, 2020

क्या आप जानते हैं, देश की सीमाए कब और किसने खींची ?


15 अगस्त को हम भारतियों ने लाल किले पर तिरंगा फहरा कर अपनी आजादी का सबूत दिया जबकि स्वतन्त्र पाकिस्तान 14 अगस्त को ही अस्तित्व में आ गया था। मगर दोनों देशों के बीच की सीमा रेखा 16 अगस्त को खींची गई अर्थात आजादी के एक दिन बाद। यह बात रोचक है कि देशों का उद्भव पहले हो गया और सीमाए बाद में खींची गयी। भारत और पाकिस्तान के मध्य सीमा रेखा खींचने का दायित्व 48 वर्षीय सर सिरिल जाॅन रैडक्लिफ को दिया गया। सिरिल जाॅन रैडक्लिफ 08 जुलाई 1947 को पहली बार भारत आए और 17 अगस्त 1947 को वापस ब्रिटेन लौट गए। अर्थात भारत के भूगोल से पूर्णतया अपरिचित रैडक्लिफ को भारत के बंटवारे के लिए लगभग छः हफ्ते का अल्प समय दिया गया। बंटवारे की अन्तिम रपट (अवार्ड) 09 अगस्त 1947 को तैयार हो गयी, पर इसे 17 अगस्त को सार्वजनिक किया गया। बंटवारे के बाद स्वदेश वापसी पर रैडक्लिफ को ‘लाॅ-लार्ड’ का पद दिया गया।

‘‘छः हफ्ते की नौकरी ने सिरिल जाॅन रेडक्लिफ को भारत के इतिहास में एक महत्व पूर्ण स्थान दे डाली।’’


Wednesday, August 12, 2020

दो अक्षर का प्यारा नाम: कण कण में राम

                              सर्वव्यापी "राम"


राम इस चराचर जगत के सभी जड़-चेतन के नाम में प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से समाविष्ट हैं ; इसलिए सर्व आराध्य है| इस तथ्य को किसी के नाम के "अक्षरों" की संख्या के साथ निश्चित गणितीय संक्रिया के उपरान्त जो शेष प्राप्त होता है से समझा जा सकता है। शेष सदैव 2 ही,रा म अर्थात राम है|

गणितीय संक्रिया निम्न है-

नाम के अक्षर चौगुन कर,  

पुनि पाँच मिलाइ कै दूगुन कीजै।

आठ कै भाग दिए जो बचै, 

सोई राम नाम करि लीजै ।।

जैसे- आम 

इसमें अक्षरों की संख्या 2, इसका चार गुना 8 और 5 जोड़ने पर 13, इसमें 2 से गुणा करने पर प्राप्त हुआ 26 में 8 से भाग देने पर शेष मिला 2 अर्थात "राम"|

यह प्रत्येक नाम के अक्षरों की संख्या के  लिए समान रूप से लागू व सत्य है| 

इसलिए गोसाई जी ने कहा है "सीय राम मय सब जग जानी"|

Friday, August 7, 2020

||मानवता के पुजारी प्रथम गैर यूरोपी विश्वकवि गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर को विनम्र श्रद्धांजलि ||

 अगस्त 7, 1941 में दुनिया को अलविदा कहने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7मई सन 1861 में कोलकाता के ब्राह्मण परिवार में हुआ था| आपके पिता का नाम श्री देवेंद्रनाथ टैगोर और माता का नाम श्रीमती शारदा देवी था| आप भारत ही नही अपितु एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता थे| आपकी कविता संग्रह 'गीतांजलि' के लिए आपको साल 1913 में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल  पुरस्कार से सम्मानित किया गया और इस तरह से आप पहले गैर यूरोपीय नोबेल पुरस्कार विजेता बने| ब्रिटिश सरकार ने आपको "सर" की उपाधि से नवाज़ा था, जिसे अपने 1919 में हुए जलियावाला बाग कांड के बाद लौटा दिया| आप स्वामी विवेकानंद के बाद दूसरे व्यक्ति थे जिन्होने विश्व धर्म संसद को दो बार सम्बोधित किया| आपने 8वर्ष  की अल्प आयु में ही अपनी पहली कविता लिखी| आपने साहित्य के अलावा संगीत, चित्रकला और शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी अमिट पहचान बनाई| आप दुनिया के पहले और एक मात्र कवि है जिनकी रचनाओं को दो देशो "भारत" और "बांग्लादेश" ने अपना राष्ट्रगान बनाया| इतना ही नही श्रीलंका के राष्ट्रगान का एक हिस्सा भी आपकी कविता से प्रेरित माना जाता है| इसप्रकार आपकी रचना तीन देशो के राष्ट्रगान की प्रेरणाश्रोत है|

टैगोर भी स्वतंत्र भारत की कल्पना करते थे पर आजादी की लड़ाई में होने वाले आंदोलनों में अत्यधिक राष्ट्रवादी रुख की टैगोर निंदा भी करते थे| राष्ट्रीयता और मानवता में प्रथम वरीयता किसे दी जाये इस बात को लेकर टैगोर और गाँधी जी के बीच सदैव वैचारिक मतभेद रहा| टैगोर मानवता को राष्ट्रवाद से अधिक महत्व देते थे जबकि गांधीजी राष्ट्रवाद को| इस मतभेद के बाद भी दोनों एक दूसरे का बहुत सम्मान करते थे, इस बात का प्रमाण टैगोर द्वारा गांधीजी को दी गई "महात्मा" की उपाधि है|

Tuesday, August 4, 2020

Saturday, August 1, 2020

Do you remember when the first mobile call was made in India?

The mobile call in India was started on July 31, 1995. The first call was from late Joyti Basu, the then chief minister of West Bengal to the then Union telecom minister Mr. Sukh Ram. Hence first mobile call using handheld mobile phone was in between Writer's Building (Kolkata) and Sanchar Bhavan (New Delhi). The call was completed on Modi Telstra's Mobile Net Service; which was a joint venture of India's Modi Group and Australian Telecom Gaint Telstra. The service was primarily associated only in four metro cities.

INTERNATIONAL INTERNET DAY (29-10-2021)

     In the present era, internet has become one of the indispensable part of our life. Most of us cannot think of is spending even one day ...